तुम्हारे जाने के बाद , कुछ नहीं बदला ..
सूरज अब भी आता है हर रोज़ जलाने को .....
और चाँद हर रात जल के राख हो कर जाता है .....
तुम्हारे जाने के बाद , कुछ नहीं बदला ..
हाँ मगर इतना ज़रूर हुआ है…
की जिन साँसों को तुम्हारी खुशबुओं की शोहबतें लगी थीं ;
उनको अब सिगरेट के धुंए की आदत हो गयी है .....
तुम्हारे जाने के बाद , कुछ नहीं बदला ..
शाम अब भी पूछती है तेरी बाहों का पता।.....
और सुबह तेरे माथे का किनारा मांगती है .....
शाम को मैं टाल देता हूँ 'कल आना' बोलकर .....
पर सुबह से रात का जलता धुआं छिपता नहीं
तुम्हारे जाने के बाद , कुछ नहीं बदला ..
हाँ मगर इतना ज़रूर हुआ है…
की मेरी सुबहें और शामें मुझ पे शक करने लगी हैं …
कल से शायद ना आएँगी .. तुम्हारे जाने के बाद
सूरज अब भी आता है हर रोज़ जलाने को .....
और चाँद हर रात जल के राख हो कर जाता है .....
तुम्हारे जाने के बाद , कुछ नहीं बदला ..
हाँ मगर इतना ज़रूर हुआ है…
की जिन साँसों को तुम्हारी खुशबुओं की शोहबतें लगी थीं ;
उनको अब सिगरेट के धुंए की आदत हो गयी है .....
तुम्हारे जाने के बाद , कुछ नहीं बदला ..
शाम अब भी पूछती है तेरी बाहों का पता।.....
और सुबह तेरे माथे का किनारा मांगती है .....
शाम को मैं टाल देता हूँ 'कल आना' बोलकर .....
पर सुबह से रात का जलता धुआं छिपता नहीं
तुम्हारे जाने के बाद , कुछ नहीं बदला ..
हाँ मगर इतना ज़रूर हुआ है…
की मेरी सुबहें और शामें मुझ पे शक करने लगी हैं …
कल से शायद ना आएँगी .. तुम्हारे जाने के बाद