Pageviews

Friday, August 8, 2014

नौ ....

नौ बरसों से जूझ रही है नज़्म,
अकेली, अँधेरी रात में  … चुपचाप
जैसे सगरेट लड़ा करती है तेज़ हवाओं से ॥

दसवें बरस जब निखरेगी तो…
गीत बनेगी गोरी का ....
फिर लाल पहन कर आएगी

और उसके ही पाँव में ये पाजेब सजेगी।